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शब्दों से परे

नैनं निश्छल, निर्मल निर्झर,

उत्कृष्ट हृदय, अधरं उर्वर।

तरुवर छाया, पुष्पित काया,

मुदित मन, मंत्रमुग्ध माया।


हर्षी प्लावित, शील शरीर,

उष्ण प्रकृति, शोणित रुधिर।

अरुण आशीष, मुखर रजनीश,

स्वाभाविक शांत, सागर क्षीर।


शब्द सीमित, व्याख्या अनंत,

सखा सुंदर, सुकोमल संत।


शब्दों से परे | कविता

 
 
 

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